आओ सुनोे दर्द-ए-दिल की कहानी
दिल का दर्द मेरी ही जुबानी
एक लम्बू सा नौकर था
थी एक छोटी रानी
आओ सुनो दर्द-ए-दिल की कहानीI
दिल का दर्द मेरी ही जुबानी
एक लम्बू सा नौकर था
थी एक छोटी रानी
आओ सुनो दर्द-ए-दिल की कहानीI
सुनो बात नहीं ये पुरानी
सीधे लम्बू की छोटी रानी थी दीवानी
छुप के देखा करती थी वो
लम्बू की कारस्तानी
दिल ही दिल में हंसती थी वो
करते देख लम्बू को नादानीI
सीधे लम्बू की छोटी रानी थी दीवानी
छुप के देखा करती थी वो
लम्बू की कारस्तानी
दिल ही दिल में हंसती थी वो
करते देख लम्बू को नादानीI
रानी के कुछ सपने थे
रानी ने लम्बू को बताया
उसके क्या क्या सपने थे
सुनी लम्बू ने रानी की जुबानी
फिर सपने वो उसके थे
लम्बू ने जी जान लगायी
पूरा की हर एक कहानी
जो सपनो की थी जानीI
रानी ने लम्बू को बताया
उसके क्या क्या सपने थे
सुनी लम्बू ने रानी की जुबानी
फिर सपने वो उसके थे
लम्बू ने जी जान लगायी
पूरा की हर एक कहानी
जो सपनो की थी जानीI
लम्बू ने डाल बन हर पल
रानी चिड़िया को उड़ना सिखाया
हर एक ताना सहा लम्बू ने
रानी को जो माना था
लम्बू ने दिल में था ठाना
रानी को कामयाब बनाना थाI
रानी चिड़िया को उड़ना सिखाया
हर एक ताना सहा लम्बू ने
रानी को जो माना था
लम्बू ने दिल में था ठाना
रानी को कामयाब बनाना थाI
रानी का हर सपना
लम्बू का जब अपना था
हाड़ जल कर भी उसने
पूरा करने का ठाना थाI
लम्बू का जब अपना था
हाड़ जल कर भी उसने
पूरा करने का ठाना थाI
चिड़िया अब उड़ने लगी थी
पंख हवा में यूं पसार
डाल को अब वो भूल गयी थी
जिसने सिखाने का उसको उठाया था भारI
पंख हवा में यूं पसार
डाल को अब वो भूल गयी थी
जिसने सिखाने का उसको उठाया था भारI
रानी अबी आजाद हो गई करके सपने अपने पूरे
लम्बू के सपने सब यूँ ही रह गए अधूरेI
लम्बू के सपने सब यूँ ही रह गए अधूरेI
रानी ने पाया नया साथी
लम्बू को बताया लम्बी नाक का हाथीI
लम्बू को बताया लम्बी नाक का हाथीI
बोली तुम हो क्या, लगते मेरे
तुम्हारी जन्दगी में खुद हैं अँधेरेI
तुम्हारी जन्दगी में खुद हैं अँधेरेI
लम्बू ने था सपना पाला
कि रानी का जीवन हो आलाI
कि रानी का जीवन हो आलाI
लम्बू ने अपना दिल तोडा
रानी के लिए त्याग किया
और रानी ने लम्बू का भी परित्याग कियाI
और रानी ने लम्बू का भी परित्याग कियाI
बोली रानी लम्बू को-
वो तुम से है काबिल सुन्दर साथी न्यारा
मुझको वो है सबसे प्याराI
मुझको वो है सबसे प्याराI
टुटा दिल लम्बू का था तब
मुड़ के भी न देखा रानी ने जब
मुड़ के भी न देखा रानी ने जब
जिसके सहारे उड़ना सीखा रानी ने
चली गयी चिड़िया छोड़ के वो डाली
देखो दुनिया की यही रीत निरालीI
देखो दुनिया की यही रीत निरालीI
जिसपर लम्बू ने सब न्योछावर कर डाला
उस रानी ने राह का फूल समझ कुचल डालाI
उस रानी ने राह का फूल समझ कुचल डालाI
लम्बू अब है रोता रहता
किसी से कोई शिकायत न कहता
किसी से कोई शिकायत न कहता
सच्चे प्रेम का यही सिला है
जो लम्बू को आज मिला है
जो लम्बू को आज मिला है
लम्बू दिल को तसल्ली है देता
चकोर को कब चाँद
धरती को भी कभी आकाश मिला है?
चकोर को कब चाँद
धरती को भी कभी आकाश मिला है?
©:उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"
सर्वाधिकार सुरक्षित
आज दिनांक 31/10/14 को रात्रि १२:०८ पर
स्थान-बागेश्वर (उत्तराखंड)