प्यांर
और मुड्की बल्द
द्वीनकी
जोड़ी
याद
छु? क्या उनरी
कैका
बाबुकी हिम्मत
जो
“दनी
हईआक”
है अलावा
कोई
दूसर जोती सको उनन
गज़ब्की
पैठ द्वीयनकी
चमकीली
खाल
लम-लम
सींग
पहाड
जस ऊंच्च जुड़
ज्योड़
जस बाटीणि आंग
स्यापक
जस लपेटीणि पूछड
मूर-माछरनक
क़ज़ा छु जणि
और
मेहनत!
मेहनती
यदुक कि द्वी-द्वी हवाक गाड
एके
हव मैं सफाचट
आहा
कदु सिद्द बल्द
कब्भे
सर जाणि नै
जू
उतार बाद
गुसैंक
उनार गर्धन मैं लाड़क द्वी फेर
बस
गुस्याणि ऊनेर वाली होली अब
लूण-पाणी
और
पिस्युंक
धुनक पौर करण
फिर
घा चरून
रात
भरी उगेर लगुन, सोचण
आहा
कास बल्द छी
कास
उनर गुसें छी
अब
सब रीत रिवाज खतम है ग्यान
बस
अब यादन मैंई छन
ऊ
प्यांर और ऊ मुड्की बल्द.
© : सर्वाधिकार सुरक्षित -उमेश चन्द्र पन्त 'अज़ीब'
आज दिनांक 11 सितंबर 2012 को अपराह्ण 4:47 पर.
अच्छा लिखते हो ! बंद क्यों कर दिया ? अपडेट करो ब्लौग को अपने !
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंत जी।
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