1-चांदनी न सही, अमावस की रात होगी
मैं आऊंगा उसी जगह
इस उम्मीद के साथ के तुम मिलोगी मुझे
इंतज़ार करते हुए.
2-आओ मिलो कभी
अमराई में
प्यार की बातें करेंगे
कहो तो नीम्बोरी ले आऊं तुम्हारे लिए
क्या आ सकोगी?
3-आ भी जा
चल चलें
सुना है घाटी के पार
एक सूरज उगता है
उम्मीद की रौशनी को साथ लिए हुए.
4-नदी पर चलें
पार करेंगे तो
पार पायेंगे,
डूब जायेंगे
तो मिल जायेंगे
फिर न बिछुड़ने के लिए.
खुबसूरत कविता. पन्त जी, लिखते रहिए..
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