लागि
रईं बैसागाक साड़-ताड़
पाकि गयीं सब्बे गाड़.
पिंगाल-पिंगाल ग्यूँका बाल
पिंगई पड़ी गै गैर में
ग्यूँ मुठ, नलो ले भरी पटांगणं
लागण पै गयीं ताड़.
ताड़नकी चूटा-चूट
और मुंगार्नक धूसा-धूस,
ग्यूँका दाण छटकनी इथ-उथ
चाड़ प्वाथ्नक लुछा-लूछ.
घाम लगी गो मिसिर-पाणि ल्यावो
बुतिकारनक करो पूछ.
मोहन दा थ्वाड़े बुति ले करो
खाल्ली पोई रईं तुमार मूंछ.
पवु लगे बेर लगुंछा ताड़
हो-बल्द आल
को कराल तुमार गाड़न खालि...
मेहनत करो सीखो भौल
तुमार नानतिन तब सुखी रौल.
....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....
पिंगाल-पिंगाल ग्यूँका बाल
पिंगई पड़ी गै गैर में
ग्यूँ मुठ, नलो ले भरी पटांगणं
लागण पै गयीं ताड़.
ताड़नकी चूटा-चूट
और मुंगार्नक धूसा-धूस,
ग्यूँका दाण छटकनी इथ-उथ
चाड़ प्वाथ्नक लुछा-लूछ.
घाम लगी गो मिसिर-पाणि ल्यावो
बुतिकारनक करो पूछ.
मोहन दा थ्वाड़े बुति ले करो
खाल्ली पोई रईं तुमार मूंछ.
पवु लगे बेर लगुंछा ताड़
हो-बल्द आल
को कराल तुमार गाड़न खालि...
मेहनत करो सीखो भौल
तुमार नानतिन तब सुखी रौल.
....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....
मेहनत करो सीखो भौल
ReplyDeleteतुमार नानतिन तब सुखी रौल.
achchha lagaa bhai...
Thank you Sir...
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