सड़क के किनारे
पुराने से मकान
की तीसरी मंजिल
पर बने हाल
की दूसरी
टेबल को
घेर कर जुटे हुए
कुछ युवा
स्नूकर के
प्लस,
माईनस
के गणित
में उलझे हुए
फेरारी की तेज़ी
और
अवतार के एनीमेशन
के जादू में
फंसे हुए
रुपये की
गिरावट
डालर की मजबूती
के चर्चों के बीच
गंभीर
पेशानों पर लकीरें
बनाते हुए,
पर दूसरे ही पल
युवतियों की बातें
ट्रिपल एक्स डीवीडी
और सिगरेट
के कशों
से निकले हुए
धुएं
के गुब्बारों
के साथ
मिले जुले
ठहाकों के स्वरों
को जोड़ते हुए,
खिलंदड़ा
स्वभाव
लड़कपन
को साथ लेकर
युवा जोश पर
हावी
होता
चला
गया
है....उमेश
चन्द्र पन्त 'अज़ीब'
(०३
जून २०१२ रात्रि ११ बजकर ३१ मिनट)
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