खिला है चाँद फलक पर
चांदनी रात है
मन मेरा फलक है
पर मेरा चाँद तो तुम हो
फिजां रंगीन है
खिले हैं गुल, गुलिस्तां मैं
दिल मेरा गुलिस्तां है
पर मेरा गुल तो तुम हो
रोशन हैं चिराग़
है शाम-ए-महफ़िल
दिल मेरा महफ़िल है
पर मेरा चिराग़ तो तुम हो
शायरी है जवां
है, बज़्म-ए-सुवरा
दिल मेरा बज़्म-ए-सुवरा है
पर मेरी शायरी तो तुम हो....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....
चांदनी रात है
मन मेरा फलक है
पर मेरा चाँद तो तुम हो
फिजां रंगीन है
खिले हैं गुल, गुलिस्तां मैं
दिल मेरा गुलिस्तां है
पर मेरा गुल तो तुम हो
रोशन हैं चिराग़
है शाम-ए-महफ़िल
दिल मेरा महफ़िल है
पर मेरा चिराग़ तो तुम हो
शायरी है जवां
है, बज़्म-ए-सुवरा
दिल मेरा बज़्म-ए-सुवरा है
पर मेरी शायरी तो तुम हो....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....
No comments:
Post a Comment