आओ के तुम्हारा इंतज़ार है.....
कुछ इस तरह-
जैसे सावन की पहली फुहार
मै गाये कोई मल्हार,
कुछ इस तरह-
जैसे आती हो पुरवाई
किसी नवयोवना की अंगड़ाई,
कुछ इस तरह-
जैसे किसी कवि का छंद
बसंत मै आया फूलों पे मकरंद
कुछ इस तरह-
जैसे भंवरे का गुंजन
शीतल चन्दन,
कुछ इस तरह-
जैसे फिजाओं मै रंगत
जमीन पर जन्नत,
कुछ इस तरह-
जैसे बच्चे की मुस्कराहट
किसी अपने के आने के आहट,
कुछ इस तरह-
जैसे माँ के लोरी
थार मै खिली हो फुलवारी,
आओ के तुम्हारा इंतज़ार है...
कुछ इस तरह-
जैसे....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....
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