Friday 20 April 2012

साड़-ताड़


लागि रईं बैसागाक साड़-ताड़
पाकि गयीं सब्बे गाड़.

पिंगाल-पिंगाल ग्यूँका बाल
पिंगई पड़ी गै गैर में
ग्यूँ मुठ, नलो ले भरी पटांगणं
लागण पै गयीं ताड़.

ताड़नकी चूटा-चूट
और मुंगार्नक धूसा-धूस,
ग्यूँका दाण छटकनी इथ-उथ
चाड़ प्वाथ्नक लुछा-लूछ.

घाम लगी गो मिसिर-पाणि ल्यावो
बुतिकारनक करो पूछ.

मोहन दा थ्वाड़े बुति ले करो
खाल्ली पोई रईं तुमार मूंछ.

पवु लगे बेर लगुंछा ताड़
हो-बल्द आल
को कराल तुमार गाड़न खालि...

मेहनत करो सीखो भौल
तुमार नानतिन तब सुखी रौल.

....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....

2 comments:

  1. मेहनत करो सीखो भौल
    तुमार नानतिन तब सुखी रौल.
    achchha lagaa bhai...

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