Thursday 29 December 2011

1आज पीने का मन है,2पंखुड़ी-पंखुड़ी, पात-पात.


1आज पीने का मन है
मुहब्बत से भी जियादा, और भी गम हैं जिंदगी में
आओ हमप्याला बनो.

2पंखुड़ी-पंखुड़ी, पात-पात
सरोबार हैं, 'शबनम' से
आओ पीते हैं
कुछ उधारी उन से भी सही.

3 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत, बधाई.

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  2. पन्त जी, 'हमप्याला' तो ठीक है 'उधारी'. . . सोचना पड़ेगा. --सुन्दर ख़याल .

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  3. please remove the word verification, thanks

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