Wednesday 13 May 2015

ज़रूरी है कि.. जनगीत गाए जाएं....!!

हाँ हम मुस्कुराएंगे,
संघर्षों के दौर में,
क्यूँकि ज़रूरी है,
मुस्कुराना।

हाँ हम गुनगुनाएंगे,
संघर्षों के दौर में,
क्यूँकि ज़रूरी है,
गुनगुनाना।

हाँ साथ निभाएंगे,
संघर्षों के दौर में,
क्यूँकि ज़रूरी है,
साथ निभाना।

हाँ क्योंकि ज़रूरी है!
लड़ना अन्याय के ख़िलाफ़...
जंग जरुरी है...
ज़रूरी है कि..
जनगीत गाए जाएं....!!

आज डफली है,
कल तूती होगी,
परसों नक्कारे-नगाड़े होंगे,
और होंगे उनके साथ...जनगीत।
जो गाए जाएंगे...न्याय की खातिर।

कुछ न भी हुआ तो भी
आवाज़ होगी....
हर पल बुलंद होती हुई...और भी ज्यादा
क्योंकि ज़रूरी है
जनगीतों का गाया जाना

क्योंकि ज़रूरी है.....
......न्याय का मिलना....
हक़ का मिलना...बराबरी के लिए।

~उमेश "अज़ीब"
©:UCP
13/05/15
10:10 PM

No comments:

Post a Comment