Wednesday 13 May 2015

मैं.......

ख़ुदा दूर है, मैं भी खुद के पास नहीं हूँ।
बस उदासीन हूँ, पर उदास नहीं हूँ।
मुझे दुनिया से क्या छुपाना,मैं कोई राज़ नहीं हूँ।
गुनगुना लो गज़ल हूँ, फ़कत अल्फ़ाज़ नहीं हूँ।
वक़्त नासाज़ है तो क्या।
मुझे इक दौर समझना, सिर्फ कल और आज नहीं हूँ।
रुका हुआ हूँ सफ़र में चाहत-ए-मंज़िल की।
हौसला हूँ, सिर्फ परवाज़ नहीं हूँ।
बग़ावत करना मेरी सोच नहीं है।
जंग है ख़ुद से ही मेरी, पर जंगबाज़ नहीं हूँ।
~उमेश "अज़ीब"
30/04/15

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