Tuesday 22 November 2011

तुम


खिला है चाँद फलक पर
चांदनी रात है
मन मेरा फलक है
पर मेरा चाँद तो तुम हो

फिजां रंगीन है
खिले हैं गुल, गुलिस्तां मैं
दिल मेरा गुलिस्तां है
पर मेरा गुल तो तुम हो

रोशन हैं चिराग़
है शाम-ए-महफ़िल
दिल मेरा महफ़िल है
पर मेरा चिराग़ तो तुम हो

शायरी है जवां
है, बज़्म-ए-सुवरा
दिल मेरा बज़्म-ए-सुवरा है
पर मेरी शायरी तो तुम हो....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....

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