Friday 25 November 2011

चेहरा


सम्हालो खुद को, इस से पहले के देर हो जाये 
लोग कहते है के ज़माने की 'तबीयत' बदल रही है|
तबीयत किस 'तासीर' की है, खुदा जाने?
हमें तो लगता है के 'नीयत' बदल रही है|
आइने में फ़कत झाँकने से कुछ हासिल न होगा
दिखना चाहिए के सचमुच, "सीरत" बदल रही है??....उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....

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