Monday 21 November 2011

जज्बात


इक जज्बात
उमड़ आया था, तूफ़ान के मानिंद
उस लम्हात
वही इक लम्हा, जिस पल तू मेरा खुदा हो गया
वही इक लम्हा
तेरे आँखों से आशनाई होने का
वही इक लम्हा
जिस मैं, दिल तेरे हुस्न पर फ़िदा हो गया

वही इक लम्हा
आज भी याद है, वही इक लम्हा
जब तू नज़रें झुका के सामने आया था
वही इक लम्हा
फक्र का, जब तू मेरे दिल में समाया था
वही इक लम्हा
जो मेरी जिन्दगी की जरुरत है
वही इक लम्हा
मेरे लिए खुदा की इबादत है
वही इक लम्हा
दिल की शहादत का सबब है
वही इक लम्हा
जो मेरा ईमान है मजहब है

वही इक लम्हा
जिससे आज भी तेरे होने का एहसास है
वही इक लम्हा
जो आब सिर्फ यादो में मेरे पास है......उमेश चन्द्र पन्त "अज़ीब"....

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